171. इस दिल का क्या, खामखा किसी पे भी आ जाता है,
फिर लबों पे, प्यार का इजहार आ जाता है,
मगर सुना है, शिद्दत से मोहब्बत करने वालो कि, प्रेम कहानी पूरी नहीं होती,
इसलिए हमने भी दिल लगी कि सिर्फ़, उसमें मोहब्बत
जरुरी नहीं होती |
Author - Vikash Soni*
172. अब मुझे स्याना नहीं बताता कोई,
अब मुझे अपने राज़ नहीं बताता कोई,
शायद वो अब एतवार नहीं करते मुझ पर,
जिनके लिए में लड़ जाता था कि इन्हे मत सताना कोई|
Author - Vikash Soni*
173. दिल चुराकर पूछते हों,
क्या खो गया तुम्हारा,
हमें बफा कि चाह थी तुमसे,
मगर दिल लगी काम है तुम्हारा |
Author - Vikash Soni*
174. मुझे कैद करना है तो, अपनी निगाहों से करना,
वरना में तुम्हारी नज़रो से, ओझल हों जाऊँगा,
ना जाने कब से झलक रहा है, ये पैमाना प्यार का,
तुम पिलो इसे, वरना में खाली हों जाऊंगा|
Author - Vikash Soni*
175. दर्द बता, तुझे यार बनाने, काहे का जाम पेश करुँ,
तुझे अपना बनाने, कोन सी दुखती नश पेश करुँ |
Author - Vikash Soni*

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