191. में अपने साथ हुये, हादसे का,
अकेला गवाह हूँ,
जहाँ में,वेगुन्हा होते हुये भी,
गुनेहगार रहा हूँ |
Author -Vikash soni
192. मैने एक पल में,अपना सब कुछ गवाया है,
खुदको, गुमनामों कि गिनती में गिनाया है,
हालत इस कद्र ख़राब हुये थे मेरे,
ये, में ही जानता हूँ, कि
किस कद्र, मैने खुद को बचाया है |
Author -Vikash soni
193. मोहब्बत जान ले लेती है, अक्सर मासूम आशिकों कि,
अरे वो खून कि लाली लगाती है, किसी भरी जवानी कि,
किसी का बेटा, किसी का पिता, किसी का भाई, छीन लेती है वो,
अरे अब क्या मिसाल दू में तुम्हें, ऐसी मोहब्बत की, कहानी कि |
Author -Vikash soni
194. बड़ी दिलचस्पी दिखा रहे हो तुम हममें,
हमें क्या तुम अपने घर ले जाओगे,
अरे तुम, एक दिन भी नहीं झेल पाओगे हमें,
ज़िन्दगी भर के वादे, तुम क्या खाख निभाओगे |
Author -Vikash soni
195. बस इतनी सुकूनियत है मेरी,
के रुह में उतर गया हूँ तेरी,
जब भी हिजकियों से,
गला सुख जाये तुम्हारा,
तो समझ लेना के,
तुझे याद कर रहा ये वेरी |
Author -Vikash soni
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