201. अब क्या दास्तान सुनाऊ, तुम्हें में, अपनी हकीकत की,
के, की थी,मोहब्बत मैने ऊँची हैसियत की,
फिर मेरा हर ख्वाब टूट कर बिखर गया यारों,
उसके बाद किसी ने खबर भी ना ली मेरी खैरियत की |
Author - Vikash soni
202. दुनिया का गोल, होल है,
आपका यहाँ क्या गोल है,
हर बात का यहाँ मोल है,
मेरे बस इतने बोल है|
Author - Vikash soni
203. जिस में ना सुर है ना ताल है,
बाजार में बिकता वही माल है,
हम से कहते है लोग तु भी आजमाले,
पैसा कमाने की बस यही चाल है |
Author - Vikash soni
204. डूब गई नाओं,
फिसल गया पाओ,
अब तो जहाँ मिले छाओं,
वही अपना गांव |
Author - Vikash soni
205. जतन लाख करलो तुम हमसा हमदम पाने की,
जर्रा भर भी नहीं हमारे जैसा ढूंढ पाओगे तुम,
नुमाइश लाख कर लो इस जिस्म ज़माने में,
रुह को दे जो सुकुन ऐसा चैन नहीं ढूंढ पाओगे तुम |
Author - Vikash soni
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