Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 166. to 170.

किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 166. to 170.


166.  बता आसमान तेरा कद कितना है,

         मुझे उस में उड़ान भरना है,

         गुमनामी कि ख्वाहिश नहीं है मेरी,

         मुझे तुझ से ऊपर निकलना है |


                               Author - Vikash Soni*


167. जिस दिन तुम मेरी काबिलियत जान लो गे,

         तब मुझे हजारों में भी पहचान लो गे,

         फिलहाल तुम्हारे लिए में गुमशुदा ही सही |


                               Author - Vikash Soni*


168. इतनी सराफत का क्या फायदा,

         के सराफत को भी शर्म आ जाये,

        और किसी कि हिमाकत इतनी बढ़ जाये,

        कि हमारे सामने हमारे घर को आग लगा जाये |

                           

                                  Author - Vikash Soni*


169. तुम बेकार ही हमें सता रहे हो,

        और खुद को छोटा बना रहे हो,

        हमें मुस्कुराकर अपना दर्द बताने कि आदत है,

        तुम खामखा अपनी तकलीफ बड़ा रहे हो |


                                  Author - Vikash Soni*


170. उन्हें बड़ा गुमान था खुदपर,

        कभी ना किसी से हारने का,

        जरा मोहब्बत क्या हुई उन्हें,

        वो अपना सब कुछ गवा बैठे |


                                    Author - Vikash Soni*




                                

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