Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 186. to 190.

किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 186. to 190.

 


186. हम तो बैठे थे दूर से ही तमाशा देखने को,

       कमबख्त एक पत्थर ने हमारी तरफ उछलके,

       हमें भी गुमराह कर दिया|


                         Author - Vikash soni


187.फलक से तोड़ कर एक चांद से  

        खुदा ने मुझे नवाज़ा,

        मगर हाथ बंधे थे मेरे,

       ये चांद देखकर मैने जाँचा |


                           Author - Vikash soni


188. संघठन में सकती और अकेले में फटती,

         तुम नादान  यहाँ -वहाँ, कहाँ, भटकती,

         मुझे ये बात है, खटकती |


                           Author - Vikash soni


189.जब रिश्तो पढ़ी दर्र, गले तक उतरी शारब,

         दिमाग़ पर चड़ी बात सामने आती है,

         तो म्यान में रखी तलवार, बहार निकल ही जाती है|


                        Author - Vikash soni


190. इश्क़ की गली में एक खिड़की खुली मिली,

        जैसे कली खिले बहार में,

        ऐसी रुह को सुकूनियत हमें मिली,

        और बड़े ख़ुश नसीब है हम,

        जो उनकी मोहब्बत हमें इस ज़िन्दगी में मिली|


                          Author - Vikash soni






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