181. ज़िन्दगी ने बड़े लहजे से हमें शर्मिंदा किया,
ना जाने किन अधेरों में हमें धकेल दिया,
कभी कभी पुराने रुतवे कि झलक,
हमारे लहजे में आ जाती है,
बता ज़िन्दगी किस कदर, तुने एक राजा को
बसिंदा किया|
Author-Vikash Soni*
182. प्यार में भरोसा होना बहुत जरुरी है,
गलतफेमी दूर करना बहुत जरुरी है,
अगर फिर भी टूट जाये दिल किसी का,
तो याद रखना,
तवाह होने के लिए हौसला बहुत जरुरी है|
Author-Vikash Soni*
183. उसने मुझे युँ छुआ,
मेरी आँखों पर छाया धुआँ धुआँ ,
सर्बते बहार सी जनंत सी बो,
में उसके सामने खाली कुआँ |
Author-Vikash Soni*
184. अब हवाओं का रंग लाल हो गया है,
ये नजारा मेरी महबूबा का गाल हो गया है,
जो हम सोच ना सके ख्वाबो में कभी,
कुछ ऐसा हकीकत में कमाल हो गया है |
Author-Vikash Soni*
185. खुशियाँ छोड़ कर हम गम सहलाब में उतर गये,
और लोग कहते है कि हम खुद वा खुद सुधर गये,
फिर ना इधर गये ना उधर गये,
उन्हें क्या पता,के हम कितने अंगारों पर गुजर गये |
Author-Vikash Soni *

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