Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : शीर्षक - "साया माँ का" कविता No. of. - 24.

शीर्षक - "साया माँ का" कविता No. of. - 24.

                                साया माँ का - कविता 

मोहे जग पैदल तके है, राहे

साया माँ का ढूढ़े निगाहें,

तेरी ममता भरी यादें मुझको सतायें,

तेरे बिन जीवन मुझको युँ खाये,

अब इन निदियन को कौन सुलाये,

ममता भरी लोरी कौन सुनाये

मोहे जग पैदल तके है, राहे

साया माँ का ढूढ़े निगाहें,

अब मुझे राहे कौन दिखाये,

मेरी गलती पर, अब कौन सुनाये,

क्यों तु मुझसे रूठ गई माँ,

ऐसी कोन सी गलती खास हुई माँ,

मोहे जग पैदल तके है, राहे

साया माँ का ढूढ़े निगाहें

अब इस जग से मुझे कौन बजाये,

मुझ पर लाड़ कौन जताये,

तेरे बिन आँशु रुकते नहीं माँ, 

अब इनको को कौन चुपाये,

मोहे जग पैदल तके है, राहे

साया माँ का ढूढ़े निगाहें |


                         Author - Vikash soni





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