नज़रो के तीर दिल पर चलाये तो सही
हमारी नज़रो ने बड़े लहजे से उनका इस्तक़बाल किया
इसी बहाने वो नजरों से नजरें मिलाकर मुस्कुराये तो सही
Author -vikash soni
2.बचपन का प्यार ज़बानी मे उतर गया
चाहत का दरिया गहरे पानी मे उतर गया
जितनी सिद्धत से चाहा है हमने तुम्हे
इसे देख आसमान सारा धरती पर उतर गया
Author - vikash soni
3. ये दर्दे दिल तेरी रजा क्या है
इस जख्मी दिल की बजह क्या है
लोग युही मायुश है अपने आप से
कोई उनसे भी जाकर पूछे की
तुम्हारी मुस्कुराहट की बजह क्या है
Author -vikash soni
4. ज़माने की आंधी ने प्यार की कस्ती को किनारा दे दिया
हमें फिर से जीने का सहारा दे दिया
जब से उलझे है उनसे रेशम के धागो की तरह
बस तभी से अपना दिल उनके नाम कर दिया
Author -vikash soni 🎇
5. लोग भले जाये चार धाम तीर्थ
हम तो उनके घर के चार लगाकर खुश हो जाया करते थे
देर होने पर पापा की डाट सुनकर भी उनके ख्यालो
मे मुस्कुराते थे
खुद की स्कूल की छुट्टी करके उनको घर तक छोड़कर
आते थे
पहचान नहीं थी उनसे हमारी मगर फिर भी वो हमें अपने
से नज़र आते थे
Author - vikash soni
2 comments:
Bahut badhiya
Thankyou
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