शीर्षक -”पिता और माँ "
पिता मेरे जैसे धुप में छाव ,
माँ मेरी दूरदर्शनी पहचाने मेरे मन के भाव,
पिता मेरे जब डांट लगावे माँ मेरी तब लाड़ जतावे ,
दुनिया की इस गूथम - गुत्थी में हमको सही मार्ग दिखावे ,
अपने से पहले उठ जावे खाना परोस वो हमें खिलावे ,
दुनिया से वे लड़ जावे पुत्र प्रेम में जब पड़जावे ,
जब हम कोई भूल कर जावे, हमारे कल की चिंता उन्हें सतावे,
तब वो अपना रोद्र रूप दिखलावे,
हम उनके नत्मस्तक हो जावे ,
फिर वो धीरे से मुझे गले लगावे, मेरी गलती मुझको बतलावे,
वो तो मुझे भगवन रूप मे भावे, अच्छी शिक्षा का पाठ पाढ़वे |
Author -vikash soni

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