पिता मेरे जैसे धुप मे छाव माँ मेरी दूरदर्शनी पहचाने मेरे मन के भाव
पिता मेरे जब डाट लगावे माँ मेरी तब लाड़ जताबे
दुनिया की इस गूथम - गुथी मे हमको सही मार्ग दिखाबे
अपने से पहले उठ जावे खाना परोस वो हमें खिलावे
दुनिया से वे लड़ जावे पुत्र प्रेम जब पड़जावे
जब हम कोई गलती कर जाते थोड़ी चिंता वो भी करते
तब वो अपना रोद्र रूप दिखलाते हम उनके नत्मस्तक हो जाते फिर वो धीरे से गले लगाते हमरी गलती हम को बतलाते
वो तो हम को भगवन रूप मे भाते अच्छी शिक्षा का पाठ पाढ़ते
Author -vikash soni
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