Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : कयामत का दिन - "कविता " No. 7

कयामत का दिन - "कविता " No. 7



 आओ तुम्हें कयामत का दिन दिखाते है 

 खुद के हाथों से खुद का विध्वन्स दिखाते है 

 तुम क्युँ इतराते हो अपनी इस झूठी पहचान पर 

 कयामत के दिन खुद हि खुद से मरोगे, इस बात को जानकर 

 तुम्हें गुमान है कि, तुम न देखोगे उस दिन को अगर 

 अपनी आने वाली पीढ़ी कि आँखो से तुम 

 भी देखोंगे उस विध्वन्स को मगर 

 आज नहीं है तुम्हें कोई अफ़सोश मगर, उस दिन 

 खुद को कोशोगे 

 अपने आने वाली पीढ़ी का विध्वन्स जब स्वयम् से 

 देखोगे 

 अगर उस दिन को पार लगाना है तो इस दिन को तुम देखों   जी 

 उस परमेश्वर कि राह पर अपना पैर निकालो जी 

 तुम्हें देख तुम्हारी पीढ़ी तुम से हि तो सीखेगी 

 माँ के अंचल, प्यार के दामन और शव के सामन में फर्क 

 तब तो वो सीखेगी 

 आज सवारों इस जीवन को,तो उस दिन पार लग जाओगे 

 आने वाली पीढ़ी तुम्हें फिर अपनी मुस्कान तुमको लोटायेगे 

 स्वतः चलता रहेगा ये चक्र,जब तुम इस सार को समझ   जाओगे 

 शायद कयामत का वो दिन कभी ना आये फिर तुम खुद से ये   कह पावोगे |

  

                         Author - Vikash soni 


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