सीता नहीं बन सकते, मत बनो मगर शुर्फनखा जैसे भी मत
बनो
कृष्ण नहीं बन सकते, मत बनो मगर कंश जैसे भी मत बनो
अर्जुन नहीं बन सकते, मत बनो मगर दुर्योधन जैसे भी
मत बनो
श्रवण कुमार नहीं बन सकते, मत बनो मगर अजटशत्रु जैसे कुपुत्र भी मत बनो
गाँधी नहीं बन सकते, मत बनो मगर जर्नल डायर जैसे भी
मत बनो
फूल नहीं बन सकते, मत बनो मगर काटे जैसे भी मत बनो
कलयुग में आये हो तो क्या हुआ मगर कलयुग जैसे भी मत बनो
इंसान बनकर आये हो इस जहाँन में तो अच्छे इंसान तो
बनो
जब तुम अच्छे इंसान बन जाओगे, इसे देख परमेश्वर भी
खुश हो जायेगा फिर तुम्हें गले वो लगाएगा
अपनी आँख खोलकर देखो फिर इस जहांन को तुम्हें
ख़ुबसूरत नज़र ये आएगा
Author - Vikash soni
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