मेने वर्षों जंग कि है अपने आप से |
Author- Vikash soni *
42.शाम कि धुंधली यादों में, मेने हररोज जालया है, खुद को,
जल्दी सवेरा होगा,ये समझा कर,हर रोज सुलाया,खुद को|
Author - Vikash soni *
43. रहो में चलते -चलते कभी हमारे पैर तक जल जाते,
फिर हम अपने ख्वाबों का मरहम उन पर लगाते,
अक्सर हम खुद को खुदी से समझाते,
कि एक मेहनत हि तो है, हमारी दोस्त,
हम कहाँ किसी ओर पर अपना हक जताते |
Author- Vikash soni*
44. गुमनमी के अंधेरों से पार जाना है, मुझे
पहचान अपनी इस जहांन में बनाना है, मुझे
युँ तो मेरी ख़ामोशी को, लोग अक्सर कमजोरी
समझ लेते है, मेरी, मगर
एक दिन इसी ख़ामोशी से शोर मचाना है, मुझे |
Author- Vikash soni*
45. अभी हम अकेले है,एक दिन काफिला हमारे साथ होगा,
जो मुकद्दर रूठा है हमसे, वो मुकद्दर भी साथ होगा,
अब तो हमने, खुद पर विस्वास करना सीख लिया,
हमें यकीन है कि
जो मुकाम सोचा है हमने, एक दिन वो मुकाम भी
हमें जरूर हाशिल होगा |
Author -Vikash soni *

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