Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : नज्म - " में सोचता हूँ "

नज्म - " में सोचता हूँ "

                                      नज्म - " में सोचता हूँ "


में सब के लिए सोचता हूँ,

मगर कोई मेरे लिए नहीं सोचता,

बस इसी बात को में सोचता हूं,

में सबके लिए कुछ ना कुछ खोजता हूँ,

 मगर कोई मुझे नहीं खोजता,

बस इसी बात को में सोचता हूँ,

ऐसा नहीं के दुनिया दारी, मुझे समझ नहीं आती,

मगर  यह दुनिया मेरा, थोड़ा भी साथ नहीं निभाती,

तो में खोजता हूँ,

 वो दरवाजा जो मेरे दिल के आस पास कही  है,

जिसमें ईश्वर रहता है,

वो रोज़ खुलकर बंद हो जाता है,

 जब भी उस तक पहुँचता हूँ,

उस बंद दरवाजे के बाहर खड़ा में खुद को कोसता हूँ,

और हर रोज़ चिल्ला कर उस अंदर बैठे ईश्वर से पूछता हूँ,

कि तुम इस दुनिया में मासूमों को क्यों भेजते हो,

और दुनिया को परवाह नहीं उनकी, 

इस बात से उनके जहन को खरोचते हो,

माना तुम ईश्वर तुमने सबको काबिल बनाया,

लेकिन यहाँ भेजनें से पहले क्या तुमने मुझे समझाया,

अगर समझया था तो मुझे वो क्यों याद नहीं,

में भला हूँ या बुरा मुझे ये क्यों ज्ञात  नहीं |

            

                           Author - Vikash soni

                                      

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