गये
उनकी नज़रों के तीरों से हम तो घायल हो गये
उनकी एक मुस्कुराहट से हम इतने बेकाबू हो गये
कि हमें कुछ पता ही नहीं, न खबर कि हम किन अंजानी
राहों में खो गये
Author - Vikash soni
28. क्यों ये लब खामोश रहे, ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया
हमने
क्या समंदर मोड़ कोई रास्ता बुन दिया हमने
कुछ गलतियां ही तो कि है, जनाब इस ज़माने में हमने
फिर क्युँ युही हमें मुल्ज़िम चुन लिया तुमने
Author - Vikash soni
29. मेरे प्यारे युवा साथियों जब तक कुवारे हो ऐश करलो
जिंदगी में मजे केस करलो
क्योंकि शादी के बाद केस कमाते -कमाते जवानी सरक
जायेगी
और बीबी -बच्चों के नखरे उठाते - उठाते बस युही ये
ज़िन्दगी गुजर जायेगी
Author - Vikash soni
30. हम उलझे रहे उनके ख्यालों में देर सवेर
हम बैठे रहे उनकी रहो में देर सवेर
वो बस युही मुस्कुराकर चले जाते थे हमारे सामने से
और हम बस ऐसे ही देखते रहे उनकी आदओं का जादू
शाम सवेर
Author - Vikash soni
31. बचपन के दोस्त जवानी में बिछड़ से जाते
तब हम अपनी तन्हाइयों के और करीब से आते
ज़माने कि ये काम काज़ी दुरियों के कारण हम
एक - एक कर सारे बिछड़ जाते
इसे देख हम कभी सोचते है कि कास अच्छा रहता
कि हम बच्चे ही रह जाते - हम बच्चे ही रह जाते
Author - Vikash soni

No comments:
Post a Comment