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माया भी बड़ी निराली, फिर काहे की पहरेदारी,
बारिश थी घमासान, यमुना का बड़ा उफान,
शेषनाग छत्र बने, यमुना ने भी चरण छुए,
तब यमुना माँ भी शांत हुई, बालगोपाल निकले,
नंद बाबा के घर वो थोड़ी उदास हुई,
रातों-रात वो गोकुल पहुँचे, अपनी थोड़ी आँखे मुचे,
वासुदेव,देवकी ने भी उनकी लीला जानी,
मात - पिता ने अपने पुत्र सारी बाते मानी
वासुदेव ना अब व्याकुल थे, अपने पुत्र को, सोप
माँ यशोदा को, उनकी पुत्री लेकर बड़े भावुक थे
माँ यशोदा के पालने में, वो झूम उठे उन्हें माँ मानने में,
सारा त्रिलोक बस उन्हें निहारे, नंद लला के दर्शन पाने
सारा आसमान उतरा धरती पर, जैसे उनकी वो खुद नज़र उतारे
सभी हर्ष उल्लास को थामे, नंद के घर आनंद को पाने,
वो दृश्य बड़ा मनमोहक था, जब पुरे गोकुल में कृष्ण जन्म का जन्मउत्सव था |
Author - Vikash soni
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