पैसा देने वाले सारे, पैसा वापस लेने पर उतर गये,
कमबख्त ऐसा जुलुश,हम तो जुलुश देखकर डर गये,
उनसे बचने के लिए, हम भी पतली गली से गुजर गये |
Author- Vikash soni
67. युँ मोहब्बत से न देखो सनम, हम आशिक़ है, पिघल
जायेगे,
वे फिकर तुम्हारे प्यार में फिसल जायेगे,
अगर तुम्हें विस्वास नहीं तो,
सामने दरिया है, तुम कह कर देखो, हम कूद जायेगे |
Author- Vikash soni
68. हर रात ये गाना गुनगुनाया है मेने,
कल का सबेरा हमारा है, ये खुद को सुनाया है मेने,
कल सुबह होगी हमारी, तो आज रात काली क्यों है,
कल अच्छा होगा हमारा, तो आज बर्बादी क्यों है |
Author- Vikash soni
69. वो अपनी अदाये दिखाकर युही हँसते है,
फिर क्युँ आशिक़, उनकी निगाहों के जादू में फसते है,
हमने सोचा कमाल है ये जादू हम इसे दूर से ही समझते है,
लेकिन हमें खबर ही नहीं थी, कि दूर से देखने वाले ही,
उनके जादू में सबसे पहले फसते है |
Author- Vikash soni
70. नजरों से घायल कर, वो इतने मासूम नज़र आते है,
दिल का कत्ल कर, वो साफ मुकर जाते है,
कोई पूछ ले उनसे उनका जुर्म तो युही शर्माते है,
उनकी इसी अदा पर, ना जाने कितने दीवाने अपनी जान
लुटाते है |
Author- Vikash soni
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