Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : किस्सा आशिक़ी और जिंदगी का - "शायरी " No. of. 71. to 75.

किस्सा आशिक़ी और जिंदगी का - "शायरी " No. of. 71. to 75.



 71. सभलते वो है, जो दुसरो के सहारे चलते है,

       हमने तो चलना ही, गिर - गिर कर सीखा है,

       हम वो नहीं जो गिर कर, किसी और कि तरफ देखे 

       खुद को उठाने के लिए,

       हमने गिर कर उठना ही, अपने गुरुर से सीखा है |


                               Author- Vikash soni 


72. हमारा होश, तब हमारा नहीं था,

       पूरा दोष हमारा नहीं था,

       कमबख्त खुद को जला बैठे, इस जमाने कि आग में,

       जबकि आग लगाने का इरादा हमारा नहीं था |


                               Author- Vikash soni 


73. रास्ता मेरा कठिन था, मंज़िल भी थी दूर,

      प्यास बड़ी तड़प कि थी, साहिल भी था दूर,

      उम्मीद थी सच्ची, तब नउम्मीद करी दूर, और 

      इरादा था मेरा पक्का कि मंज़िल को पाना है जरूर,


                        Author- Vikash soni 


74. बचपन कि मीठी यादों को याद किया है, मैने 

      अपने दर्द को कम करने का जाम पिया है, मैने 

      उन दिनों में कितना मासूम था, याद किया है,मैने 

     उस दिन को याद कर,आज खुद को सभाल लिया है, मैने|


                         Author- Vikash soni 


75. तेरी पायल कि छनकार ने आवाज दी, मुझे,

      तेरी चूड़ी कि खनकार ने आवाज दी, मुझे,

      तेरे प्यार के पैगाम ने आवाज़ दी, मुझे 

      मगर में सुन नहीं पाया,

      इसी बात कि वक़्त ने सजा दी, मुझे |

      

                             Author- Vikash soni 



     



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