101. जंगवाज हो तुम अगर, तो क्या एक बार इश्क़
के दरवार में आओगे,
वहाँ आकर, सच्चा इश्क़ हो गया तुम्हें अगर,
तो मुझे यकिन है , तुम वहाँ खुद वा खुद हमें
फरियादियों कि कतार में खड़े नज़र आओगे |
Author - Vikash soni
102. हम वेहिसाब उनके इश्क़ में तड़पते रहे,
और वो हमारे दर्द से, वेकदर युही चहकते रहे,
जब हमने उन्हें,अपना हमदर्द समझकर
आवाज दी,
वो कमबख्त, हमारे दर्द पर, अपनी बातों का
नमक छिड़कते रहे |
Author - Vikash soni
103. जमाना ये जानता है, मगर मानता नहीं
कि प्यार का अल्फाज अधूरा है, ये जानता है,
मगर मानता नहीं,
सभी को इश्क़ कि तड़प है, और सभी हुशन और इश्क़ के दीदार को, वेसब्र है,कि वेहिसाव दर्द मिलेगा उनको ,
जमाना ये जानता है, मगर मानता नहीं |
Author - Vikash soni
104. दिल फेक दिया मेरा, क्या अब जान लो गी
हाँ लगता है शायद, बस, यही अनहोनी अब
मेरे साथ होगी |
Author - Vikash soni
105. हमारी दास्तान सुन, आसमान भी रो पड़ा,
हमारा जुर्म सुन,खुद की चुप्पी तोड़ पड़ा,
हमने ने हरकदम बस,मयूशियां देखी इस ज़माने में,
ये सुनकर वो खुद, हमारे नशीब के हाथ जोड़ पड़ा |
Author - Vikash soni
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