106. शाम में सजे रंगीन ख्वाब अक्सर, झूठ होते है,
पत्थारों पर लिखे प्यार के नाम, अक्सर झूठ होते है,
सच तो ये है, कि अक्सर प्यार अंधूरा रह जाता इस
जहांन में लोगों का,
वरना कहा हम जैसे शायर, इस जहांन से रुवरु होते है|
Author -vikash soni
107. हम हर रोज़ जशन मानते रहे, अपनी बर्बादी का,
खूब दौलत उड़ाते रहे, अपनी उधारी का,
महकमा शायद तब, हमसे रूठा
जब हममें एहशास जगा, कुछ समझदारी का |
Author -vikash soni
108.हम सरे आम बेगेरत, रुकश्त हुये,
रातों -रात अपनी ही गली से रुकश्त हुये,
हमारी ही कमी थी, तो हमने अपनी हर खता मानी,
वरना हम कहा कभी भरी महफ़िल से ऐसे ही
बिना कुछ कहे रुकश्त हुये |
Author -vikash soni
109.वो सोने का दलदल, जिसमें में उतर गया,
खुद को, खुदी से तवाह करने पर उतर गया,
मैने सोचा क्या वज़ह थी, मेरा ऐसे करने कि,
फिर जाना वो नशीब था मेरा जो मुझे आधे रास्ते
बुलाकर
फिर मेरा साथ देने से मुकर गया |
Author -vikash soni
110. इतनी भी आसान नहीं है, जिंदगी गालिफ,
कि जिंदगी के हर एक मिनट में होते है, 60 सेकेण्ड,
और हर एक सेकेण्ड में, हजारों बार रुलाती है,
ये जिंदगी |
Author -vikash soni
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