अपने हमदम से टकरार की भाषा, हम उनकी निगाहों
से समझ जाते है,
भले ही उनकी मुस्कुराहट के फूल,बिखरे हो सारे घर में,
मगर हम उनके संनाटे से, आने वाले तूफान को समझ जाते है |
Author - Vikash soni
87.अगर प्यार की तलाश है, तो निकलो मोहब्बत के
गलियारों में,
अपना दिल जलाने की आस है, तो निकलो मोहब्बत
गलियारों में,
तुम्हें बेआबरू तक होना पड़ेगा, मोहब्बत के
गलियारों में,
ये तुम्हारी रुह तक छीन लेगे तुम से, तुम निकलो तो मोहब्बत गलियारों में|
Author - Vikash soni
88.प्यार के मौसम में,चाँद बादल के आगोश में आ
जाता है,
कोई महबूब अपनी, महबूबा की रुह में समा जाता है,
अक्सर दर्द उन्हीं के हिस्से में आता है
जो इस अहसाश को कभी नहीं भूला पाता है |
Author - Vikash soni
89. वो बेखबर अंजान है, हमारे जज्बातों से,
उन्हें क्या खबर कि, ना जाने,कितनी राते गुजारी है,
हमने उनके ख्यालतों से |
Author - Vikash soni
90. एक प्यार का धागा जो, मुझसे टूट गया,
उससे बिछड़के, मानो मेरा सितारा डूब गया,
ना जाने कैसे पुकारे, अब हम, उस हमसफर को,
एक ही यार था मेरा, वो भी मुझ से रूठ गया |
Author - Vikash soni

No comments:
Post a Comment