Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का - " शायरी " No. of 116 to 120

किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का - " शायरी " No. of 116 to 120


 116. वो आशिक़ ही क्या, जिसने कभी मोहब्बत कर,शाराब 

           का  जाम न पिया हो 

     अपने दर्द को कम कर, हर शाम को शान से ना जिया हो|

                            Author - Vikash soni 


117. हम पर बेशक बड़ा संगीन इल्जाम है, खुद को बर्बाद 

         करने का,

        और मुझे इल्म है इस जुर्म कि सजा का,

        मगर इस ज़माने कि बेरुखी से हमें एतवार नहीं,

       खुद को बर्बाद कर भला क्या ही बिगाड़ दिया मैने इस 

       ज़माने का |

                            Author - Vikash soni 


118. अगर तुम्हें खुद पर यकीन है, तो क्यों मंजिल कि 

         राहों से डरते हो,

        सफर चाहे कैसा भी रहे तुम्हारा,

        मगर अंजाम वही होगा, जो तुम आज यकीन से 

        इस किताब पर लिख़ते हो |


                    Author - Vikash soni 


119. तुम्हें अगर,बेपरवाह होकर,जीना है इस जहाँन में,

         तो किसी पर एतवार मत करना मेरे दोस्त,

         एतवार रखना तो सिर्फ खुद पर,

        तुम किसी ओर के लिए, वर्वाद मत होना मेरे दोस्त |


                           Author - Vikash soni 


120. चलो इस गुमनामी के अंधेरों से, हम पार पा जाये,

     अपनी इस भरी जवानी से, फिर से इंकलाब ले आये,

     खामोश होकर क्या ही मिला,इस जहाँन में किसी को 

     चलो आज अपने हक लिए इस जहाँन में शोर मचाये|


                            Author - Vikash soni 







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