Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : नादान परिंदे है हम -"कविता " No. of 12.

नादान परिंदे है हम -"कविता " No. of 12.

                  नादान परिंदे है हम -"कविता " 


 नादान परिंदे है हम, जरा भटक जाने दो हमें, एक दिन वापस   घर ही तो आयेंगे,

जरा नजदीक से देख लेने दो, हमें भी यह मायाजाल,

हम जानते है,कि हम इस में फस जायेगे, फिर भी हम बाज़ 

 ना आयेगे 

नादान परिंदे है हम, जरा भटक जाने दो हमें, एक दिन, वापस घर ही तो आयेंगे,

जरा खेल लेने दो हमारी जान से इन शिकारियों को,

हमें यकीन है, हम जैसे तैसे खुदको इन से बचा ही ले आयेंगे,

नादान परिंदे है हम, जरा भटक जाने दो हमें, एक दिन वापस   घर ही तो आयेंगे,

चाहे कुछ भी हो हमारे साथ,हम अपनी करनी पर न पछतायेगे,

हम जानते है खुद को, कि जरा भी सब्र नहीं है हममें,

जरा दिखेगा हमें आसमान, हम फोरन उड़ जायेगे,

नादान परिंदे है हम, जरा भटक जाने दो हमें, एक दिन वापस   घर ही तो आयेंगे,

कुछ कर गुजरने कि चाहत है, अब इस दिल में,

नहीं तो कब, अपना हुनर इस जहाँ को हम दिखा पायेगे,

हमें हमारी कहानी बुन ने, तो दो, हम अपना आशियाना खुद बनायेगे 

नादान परिंदे है हम, जरा भटक जाने दो हमें, एक दिन वापस   घर ही तो आयेंगे,

अगर कुछ ना भी हासिल कर पाये, फिर भी थोड़ा तजुर्बा हम 

अपने साथ ले ही आयेगे,

फिर सजे कि जब भी यारों कि मेहफील, तब अपनी दास्तान सब को सुनायेगे,

नादान परिंदे है हम, जरा भटक जाने दो हमें, एक दिन वापस   घर ही तो आयेंगे,


                          Author - Vikash soni



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