Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 126. to 130.

किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 126. to 130.


 126. बता जिंदगी, वो किताब का पन्ना कहा है,

         जिसमें मेरा इंसाफ लिखा है,

         सिर्फ नुसकान दिखाया तुने,

         बता मेरा भायदा कहा है |

                          Author- Vikash soni


127. ऐसे ना छेड़ कुदरत को,ये नदान इंसान 

        अगर  कही वो बिगड़ गई,तो नजाने तुम्हारी,

        कितनी पुस्ते तभा कर देगी |

                            Author- Vikash soni


128.जिन्होंने सिंहसान से उतरकर, कभी दरबार तक देखा नहीं 

   वो आज सड़को पर,सारे आम महफ़िलो में, सुमार हो रहे है 

   जिन्होंने वर्षो तक,संभाल के रखा अपना तख्त ओ ताज 

   वो ही आज सारे आम सड़को पर नीलाम हो रहे है |

                           Author- Vikash soni


129.अब मेरे पास बचा ही क्या, जिसे हम बचा लेगे 

        हमारी खता ही क्या,जिसे हम छुपा लेगे,

        हम हारे भी तो, इश्क के खेल में,

        उसमें हमें मिला ही क्या, जिसे हम लुटा देंगे |

                            Author- Vikash soni


130. पता नहीं,पाप पुण्य करके किसे क्या मिला है,

    किसे क्या पता,कि उसके आने वाले कल में क्या लिखा है, 

     में बस इतना जानता हूँ कि,

    अपने गलत किये कर्मों पर, एक दिन पछताना ही है,

    तुम चाहे छुपकर करलो कितने ही बुरे काम 

    पाप का घड़ा एक दिन भर जाना ही है |

                              Author- Vikash soni



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