Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : हम जहाँ थे वही रह गये -" कविता " No.of. 13.

हम जहाँ थे वही रह गये -" कविता " No.of. 13.


             हम जहाँ थे वही रह गये -कविता 


गर्मीयाँ आती जाती रही शर्दीया,बरसाते भी खिलखिलाती रही, मौसम बदलते रहे, 

और हम जहाँ थे वही रह गये,

दिन-रात, शामों सुबह, दोपहर,अरे ना जाने कितने पहर, आते जाते रहे,

और हम जहाँ थे वही रह गये,

उम्र गुजरती रही घड़ी के काटो से उलझके, हम इन काटो से लिपटे ही रह गये,

और हम जहाँ थे वही रह गये,

शायद खुद पर यकीन थोड़ा कम किया, गैरो पर भरोसा ज्यादा कर गये,

और हम जहाँ थे वही रह गये,

झूठी कामयाबीयाँ मिली, सच्ची नाकामबियाँ मिली ,हम खुद को बहलाते रह गये, 

और हम जहाँ थे वही रह गये,

माना मयूसीयाँ मिली जरूर, गम जिंदगी था भरपूर,

हम आशु बहाते रह गये,

और हम जहाँ थे वही रह गये,

सोचा लालत है हमारी जवानी को,आग लगा दे पानी को, बदलदे इस कहानी को,हम सोचते रह गये,

और हम जहाँ थे वही रह गये,


                            Author - Vikash soni

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