ज़िन्दगी की तलाश -"कविता "
तुम ज़िन्दगी की तलाश, करो तो सही,
तो शायद तुम्हें, वो मिलेगी वही,
अपने दिल की आवाज़, सुनो तो सही,
अपने गमों को,छोड़ो तो वही,
तुम ज़िन्दगी की तलाश, करो तो सही,
तो शायद तुम्हें,वो मिलेगी वही,
तुम अपने घर से, निकलो तो सही,
बाजार खुशियों का, तुम्हें फिर मिलेगा वही,
तुम ज़िन्दगी की तलाश, करो तो सही,
तो शायद तुम्हें, वो मिलेगी वही,
माना टूट गये तुम,कुछ इस कदर,
अब कोई तुम्हें, समेटा गा नहीं,
फिर भी ज़िन्दगी की तलाश,करो तो सही,
तो शायद तुम्हें,वो मिलेगी वही,
कहा लिखा है की, तुम्हारा अंजाम क्या होगा,
सफर बाकी है तुम्हारा,तुम ऐसे हारों तो नहीं,
तुम ज़िन्दगी की तलाश,करो तो सही,
तो शायद तुम्हें, वो मिलेगी वही,
शायद कोई जानलेवा जहर,पिया तुमने कही,
फिर भी जिन्दा हों तुम, ये सच है की नहीं,
तुम ज़िन्दगी की तलाश,करो तो सही,
तो शायद तुम्हें, वो मिलेगी वही,
तुम ठान लो तो, क्या नहीं कर सकते यहाँ,
एक बार ये खुद से, कहो तो सही,
तुम ज़िन्दगी की तलाश,करो तो सही,
तो शायद तुम्हें, वो मिलेगी वही,
Author - Vikash soni
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