146. गुजारिश कर के देखो, हम पिघल जायेगे,
तुम मुस्कुराकर देखो,हम महक जायेगे,
तुम खामोश खा मा खा बैठे हों,हमसे दूर,
तुम पुकार कर देखो, हम तुम्हारे करीब खिचे आयेगे|
Author - Vikash soni
147. कभी आओ गलिफ़ की महफिल में,
तब हमारी शान का पता आपको चले,
कभी देखो इन निगाहों को गोर से,
तब हमारी जान का पता, आपको चले |
Author - Vikash soni
148.हम करें उनसे कोई शरारत, ऐसी हमारी हिमाकत कहा
हमारी नज़र देख ले उन्हें, चोरी से,
ऐसी हमारे पास नजाकत कहा,
हम चाहते सुनादे अपना हाले दिल उन्हें खुलकर,
मगर ऐसी हमारी बकालत कहा
Author - Vikash soni
149. हमें क़त्ल कर वो, किसी और को शिकार बनाये बैठे है,
वो किसी और की बाहो में, हमें नज़रों का जाम पिलाये बैठे है,
फिर भी हम हर जुर्म उनका,हँसकर कुबूल करेंगे,
क्योंकि हम सबसे छुपाकर, उन्हें अपने दिल में छिपाये बैठे है|
Author - Vikash soni
150. जहन में आग, दिल में तूफ़ा पाला है,
अब तो कुछ कर गुजरने का, जुनुन जागा है,
यह सोचकर निकले ही थे, घर के बाहर, फिर देखा
सामने खुदी हुई सड़क और पीछे मुंशीपालटी का नाला है|
Author - Vikash soni
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