Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 161. to 165.

किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 161. to 165.


 161. तू सब्र कर बंदे, बिखर के, तू भी निखर जाएगा,

         अपने हालातों से लड़ कर, तू भी सवर जाएगा,

          तू मत कर फ़िकर, ऊपर बैठा है तेरा मालिक,

         जो इस तेरी डूबती नईया को, किनारे तक पहुंचाएगा |


                            Author - Vikash soni


162.  क्या तुम्हें आता  है, खुद पर फना होना,

         नहीं आता तो सीख लो,

         क्योंकि तुम्हारी मौत पर,कफ़न भी, तुम्हीं पर 

         उड़ायेगे ये लोग |


                              Author - Vikash soni


163. तुम्हें क्या लगा हम लोट आयेंगे,

         दामन प्यार का फिर से ओड़ लायेगे,

      अरे हमने सीख लिया खुद से प्यार करना, इस जमाने में,

   अब भूलकर भी, तुमसे किसी मोड़ पर, हम ना टकरायेगे |


                             Author - Vikash soni




164. अच्छा रहा, हम चल पड़े,

         मुसीबतों से अपने झगड़े पड़े,

         जिंदगी ने मायूशियों के सिवा,हमें दिया ही क्या,

        अच्छा हुआ हम खुद की तलाश में निकले पड़े |


                                 Author - Vikash soni



165. ये सल्तनत फ़क़ीर की है, यहाँ की मेहमान नाबाज़ी              तुम्हें  राश ना आएगी, 

  

       माना अदाएं कातिलाना है तुम्हारी , फिर भी यहां किसी          को कुछ खाश ना भाएगी |


                                 Author - Vikash soni




                                







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