नज्म - बाप
तोड़ी तकदीर साथ देदे हमारा,
तो हम भी कुछ कसमें वादें निभा ले इस ज़माने में,
सारी उम्र गुजर गई पैसा कमाने में,
मुद्दतों बाद तो दो पल चैन के मिले थे हमें,
उसमें भी उम्र गुजर गई बच्चों कि जिम्मेदारियां निभाने में,
हमने सोचा नेक काम किया हमने,
लेकिन शर्म आ रही है,नायलकों को हमें गैरों के सामने बाप बताने में,
अब हमारी भटी शर्ट ओर टूटी चप्पल को दोष दे रहे कमबख्त,
बताओ कौन सी कसर छोड़ी इन्होंने तुम्हें स्कूटी दिलाने में,
शायद भूल गये है अपने ख्वाब में वो कि हमारे वो लाल वही,
जिनको हमने ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया,
अरे हम एक लौते तुम्हारे बाप वही,
Author - Vikash soni
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