Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni : किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 221. to 225.

किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 221. to 225.

 221. ये मेरे गबरू जवानों, बूढ़े पुरानो, 

          बाबा आदम के खाजनों,

          जरा ये सच जानो,

         अगर भूलकर भी कोई खता हो गई,

         तुम्हारी अपने दिलवर के साथ,

         तो त उम्र माभी मांगते रहोगे, 

         ये मेरे भोले नादानों |


                                  Author - Vikash Soni *

222. ज़िन्दगी एक जुआ है और यह जुआ,

         यहाँ किस का कभी हुआ है,

        लेकिन ज़िन्दगी मेरी हर सांस ने तुझे छुआ है,

        ये ज़िन्दगी इस आखरी बाजी में थोड़ा सा साथ देदे मेरा,

        बस मेरी तुझ से इतनी दुआ है |


                                  Author - Vikash Soni *


223. जिनके दिल पर कोई बात लगे,उनका दिल कही नहीं लगता,

         बात है ये सच्ची में खामखा नहीं बकता,

         अगर कोई शिकवा गिला या कोई शिकायत है तुम्हें,

         तो कोई और ढूढ़ लो, 

        वैसे भी हमारे ऊपर, ये मेंहदी और सहरा का रंग नहीं जजता |


                                  Author - Vikash Soni *

224. अभी सिर्फ  चिंगारी देखी है, तुमने, इस सीने में,

          जरा आग तो लगने दो,

          अभी सिर्फ राख देखी है, तुमने, इस सीरत में,

           जरा आँच तो लगने दो,

          तुम देख लेना इस बार शोर इतना होगा, मेरे तमाशे का,

          आज की इस कली रात गुजरने के बाद,

           जरा कल कि भोर तो होने दो |

                                            Author - Vikash Soni *


225. दिल कहे अब कही और जाकर लग जा,

         कुछ पढ़ाई लिखाई में कुछ किताबों में लग जा,

         मगर उसके इश्क़ ने हमें निक्क्मा कर दिया कुछ इस कद्र,

         अब तो लगता है,

         जा बेटा सामने दरिया है, उसमें खुद के मर  जा |


                                           Author - Vikash soni *




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