216.तुम्हारी ही गुजारिश थी तो इस दिल कि नुमाइश हुई,
वरना जिस्म तो इस बाजार में कोड़ियों के भाव मिलते है,
और हमारा दिल ठुराकर उसे अपना गुरुर बताते हो,
शायद तुम्हें मालूम नहीं,
के हम जैसे आशिक़ बड़ी मुश्किल से मिलते है |
Author - Vikash soni *
217.काश उसने जाते वक़्त अलविदा कहा होता,
तो आज हमारा हाल भी जुदा होता,
अब भी इन हवाओं में उसकी यादों कि महक आती है,
काश जाते वक़्त इन हवाओं को भी उसने अपने पास बुला लिया होता |
Author - Vikash soni*
218. क्या तुम कभी अपनी मर्जी के लिए बर्बाद हुये हो,
हमने तो अपनी मर्जी से मौत मांगी थी,
मगर खुदा भी उसका मुरीद निकला हमें तब पता चला,
जब हमने गले में रस्सी टांगी थी |
Author - Vikash soni *
219. ये दूरिया कमसर्ब, कही मार ना डाले हमें,
ये घड़ी के काटे, कही बाट ना डाले हमें,
इस दिल की पतंग क्या,
ना जाने किस ओर हवा में बह जाये,
ये हवा तुमसे कही दूर ना पहुंचा दे हमें |
Author - Vikash soni*
220. उन्हें बस इतना मलाल है की,
हमें सिर्फ़ उनका ख्याल है,
चाहने वाले बहुत है क्या उनके,
हमारा उनसे बस इतना सवाल है |
Author - Vikash soni *
No comments:
Post a Comment