211. भले होगा तुम्हारा गुरुर मेहेंगा,
हमारा स्वभाव बिल्कुल पानी जैसा,
ओर तो ओर यहाँ बात जमीन कि नहीं जहन कि हो रही,
भला कौन रोकेगा हमें,
हमारा मिजाज़ ही कुछ ऐसा|
Author - Vikash soni *
212. तुम्हारी हर बात एक बहाना है,
वज़ह क्या है कि तुम्हें हमसे दूर जाना है,
अब चुप बैठे हो कुछ बोल नहीं रहे,
क्या जरुरी है तुम्हें हर बात में हमें सताना है|
Author - Vikash soni *
213.के तुम्हारे नाम कि मेहंदी हाथों में रचानी है,
चुटकी भर सिंदूर कि रौनक माथे पर सजानी है,
सात फेरो कि कसमें सिद्द्त से निभानी है,
ये मेरे दिल के राजकुमार मुझे अपना इश्क़ मुकम्बल करना है तुमसे,
शादी करके अपनी पूरी ज़िन्दगी तुम्हारे साथ बितानी है |
Author - Vikash soni *
214. मेरा घर छीन कर खुदा ने मेरे कान में आकर कहा,
तुझे तो दिलों में रहने कि आदत है फकीर,
अब जा वहाँ जाकर अपना महल बना |
Author - Vikash soni *
215. ना जाने किस रात मेरी ज़िन्दगी में इतनी वरसात हो गई,
के एक बार में ज़िन्दगी खाक हो गई,
और अभी अभी तो ठीक से चलना मैने सीखा था यारों,
पल भर में ज़िन्दगी इतनी पाक हो गई,
अब में मुस्कुराऊ या आशु बहाऊँ इस मंज़र पर समझ नहीं पड़ रहा,
इतनी गहरी बात मेरे साथ हो गई |
Author - Vikash soni *
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