Shayari and kavita in hindi / किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का-शायरी/कविता आनंद/ Author -Vikash soni

किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 196. to 200.

 


196. दूर से महबूब का दीदार किया नहीं जाता,

         मुद्दों बाद किसी का सुक्रिया किया नहीं जाता,

         लोग कहते है कि हम खुश है अकेले,

क्या बताये किसी को के उनके बगैर हम पे अब जिया नहीं जाता|


                          Author - Vikash Soni


197. भीड़ में किसी सक्श के हाल का पता नहीं चलता,

        मुस्कुराहट से उसमें छिपे दर्द का पता नहीं चलता,

    और भले ही बरखुब देखा है तुमने संदर अपनी आँखों से,

       मगर दूर से संदर की गहराई का पता नहीं चलता|


                      Author - Vikash Soni


198.  हिन्दू, मुस्लिम,शिख,ईसाई,

         सबको परेशान करे लुगाई,

       अब कहा जाकर ये देंगे दुहाई,

      ये आफत इन्होंने खुद गले लगाई |


                        Author - Vikash Soni


199. मैने तुझे चाहा इस कदर,

        के भटक रहा हूँ दर बदर,

        तेरी महक आज भी, 

         मेरे तन से आती है,

        तु रुह समाई इस कदर |


                            Author - Vikash Soni



200. हमसे नजरें ना फेरो तुम,

         क्या अपना तिलस्म हमें ना दिखाओगे,

         या तुम्हें डर कि हम भी कही,

         पागल ना हो जाये ओरों कि तरह,

         तो फिर बताओ भला तुम हमें अपना कैसे बनाओगे |


                            Author - Vikash Soni








किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 191. to 195.

 




191. में अपने साथ हुये, हादसे का,

          अकेला गवाह हूँ,

          जहाँ में,वेगुन्हा होते हुये भी,

          गुनेहगार रहा हूँ |


                                Author -Vikash soni


192. मैने एक पल में,अपना सब कुछ गवाया है,

         खुदको, गुमनामों कि गिनती में गिनाया है,

         हालत इस कद्र ख़राब हुये थे मेरे,

         ये, में ही जानता हूँ, कि

         किस कद्र, मैने खुद को बचाया है |


                                  Author -Vikash soni


193. मोहब्बत जान ले लेती है, अक्सर मासूम आशिकों कि,

        अरे वो खून कि लाली लगाती है, किसी भरी जवानी कि,

         किसी का बेटा, किसी का पिता, किसी का भाई, छीन           लेती है वो,

         अरे अब क्या मिसाल दू में तुम्हें, ऐसी मोहब्बत की,               कहानी कि |


                                    Author -Vikash soni


194. बड़ी दिलचस्पी दिखा रहे हो तुम हममें,

         हमें क्या तुम अपने घर ले जाओगे,

        अरे तुम, एक दिन भी नहीं झेल पाओगे हमें,

        ज़िन्दगी भर के वादे, तुम क्या खाख निभाओगे |


                                    Author -Vikash soni


195. बस इतनी सुकूनियत है मेरी,

         के रुह में उतर गया हूँ तेरी,

         जब भी हिजकियों से,

          गला सुख जाये तुम्हारा,

          तो समझ लेना के,

          तुझे याद कर रहा ये वेरी |


                                      Author -Vikash soni





किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 186. to 190.

 


186. हम तो बैठे थे दूर से ही तमाशा देखने को,

       कमबख्त एक पत्थर ने हमारी तरफ उछलके,

       हमें भी गुमराह कर दिया|


                         Author - Vikash soni


187.फलक से तोड़ कर एक चांद से  

        खुदा ने मुझे नवाज़ा,

        मगर हाथ बंधे थे मेरे,

       ये चांद देखकर मैने जाँचा |


                           Author - Vikash soni


188. संघठन में सकती और अकेले में फटती,

         तुम नादान  यहाँ -वहाँ, कहाँ, भटकती,

         मुझे ये बात है, खटकती |


                           Author - Vikash soni


189.जब रिश्तो पढ़ी दर्र, गले तक उतरी शारब,

         दिमाग़ पर चड़ी बात सामने आती है,

         तो म्यान में रखी तलवार, बहार निकल ही जाती है|


                        Author - Vikash soni


190. इश्क़ की गली में एक खिड़की खुली मिली,

        जैसे कली खिले बहार में,

        ऐसी रुह को सुकूनियत हमें मिली,

        और बड़े ख़ुश नसीब है हम,

        जो उनकी मोहब्बत हमें इस ज़िन्दगी में मिली|


                          Author - Vikash soni






किस्सा आशिक़ी और ज़िन्दगी का -"शायरी " No. of. 181. to 185.

 


181. ज़िन्दगी ने बड़े लहजे से हमें शर्मिंदा किया,

          ना जाने किन अधेरों में हमें धकेल दिया,

          कभी कभी पुराने ने रुतवे कि झलक,

          हमारे लहजे में आ जाती है,

          बता ज़िन्दगी किस कदर, तुने एक राजा को 

          बसिंदा किया|

                                  Author-Vikash Soni


182. प्यार में भरोसा होना बहुत जरुरी है,

        गलतफेमी दूर करना बहुत जरुरी है,

       अगर फिर भी टूट जाये  दिल किसी का,

       तो याद रखना,

       तवाह होने के लिए हौसला बहुत जरुरी है|


                                   Author-Vikash Soni

183. उसने मुझे युँ छुआ,

        मेरी आँखों पर छाया धुआँ दुआँ,

        सर्बते बहार सी जनंत सी बो, 

        में उसके सामने खाली कुआँ |


                                   Author-Vikash Soni


184. अब हवाओं का रंग लाल हो गया है,

        ये नजारा मेरी महबूबा का गाल हो गया है,

        जो हम सोच ना सके ख्वाबो में कभी,

        कुछ ऐसा हकीकत में कमाल हो गया है |


                                   Author-Vikash Soni


185. खुशियाँ छोड़ कर हम गम सहलाब में उतर गये,

      और लोग कहते है कि हम खुद वा खुद सुधर गये,

      फिर ना इधर गये  ना उधर गये,

     उन्हें क्या पता,के हम कितने अंगारों पर गुजर गए|


                                    Author-Vikash Soni




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